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हाय टिंकू ! तू आज बहुत याद आया।।

आज जब भूल बैठी थी
सदियों बाद छत पर बैठी थी
ठंडी-ठंडी हवाएं तन को छू
रही थी
तुम्हारी यादें मन को छू रही थीं
सरसराहट पत्तियों की
कानों तक जा रहीं थीं
चाय की गर्म चुस्कियां भी
ले रही थी
की अचानक गली से कोई गुज़रा
मुझे लगा की तुम हो
चाय की कप वहीं
छोंड़ कर भागी
मैं सारे बन्धन तोड़ कर भागी
पर धम्म से वहीं बैठ गई
दिल की धड़कन रुक गई
सांस किधर गई!
तुम्हें ना देखकर कुछ
खो-सा दिया
हाय टिंकू !
तू आज बहुत याद आया।।।

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