हाय श्याम ! अब ऐसी स्याही कहां से लाऊं??? Pragya 3 years ago लिखने को साहित्य अब होता है मन बेचैन इस जीवन की व्यस्तता लेने ना देती चैन, लेने ना देती चैन लिखने को व्याकुल है मन मन के कागज पर लिखने को आतुर है तन हाय श्याम ! अब ऐसी स्याही कहां से लाऊं ?? मानवता का हो कल्याण ऐसे भाव कहां से लाऊं ??