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हैसियत

एक औरत अपने आठ महीने के बेटे के संग बीच चौराहे पे आयी। वह हमेशा की तरह एक मैली थैली में से एक कटोरा निकाल कर बैठ गयी। आने जाने वालों से कहती -“पापी पेट का सवाल है। भगवान के नाम पे कुछ दे दो साहब “।मै उसे वहाँ दो साल से देखता आ रहा था। मैं जब जब वहाँ से गुज़रता था तब तब उसके कटोरे में दस या बीस रुपये रख दिया करता था। एक दिन अचानक एक स्कॉरपियो गाड़ी उसके सामने रुकी। अंदर से कोई कुछ कहा ।फिर आगे बढ गयी। वह भीखारन मैली थैली मे कटोरा रखी, बच्चे को गोद में ले के वहाँ से चल पड़ी। यह माजरा मैं समझ नहीं पाया। कुछ क्षण पश्चात मैं देखा कि, वह औरत गाडी़ में बैठ गयी। मैं अपनी बाइक से उसे पीछा करने लगा। कुछ देर बाद वह गाड़ी एक आलीशान बंगले के करीब रुकी। वाचमैन दौड़ कर गेट खोला। गाड़ी अंदर चली गयी। मै अपनी शक को दूर करने के लिए वाचमैन से कुछ जानना चाहा उस औरत के बारे में। जब मैं अपनी उलझन वाचमैन को बताया तो वह हंसते हुए कहा -” भाई। वह मेरे मालकिन है।यह बंगला गाड़ी सब उन्हीं के तो है। “मैं इतना सुन कर वहाँ से चल पड़ा। सोचने लगा किसी की हैसियत उसके गंदे कपड़ों से कभी लगाई नहीं जा सकती।

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