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है आभा बड़ी मनोरम”

सीमित शब्दों में मैंने
रखी है अपनी बात
सुंदर-सुंदर वृक्ष हैं
चिकने इसके पात,
चिकने इसके पात
है आभा बड़ी मनोरम
सुंदर-सुंदर पुष्पों से
भरा है आंगन
कैसी सुंदर छटा है
कितनी सुंदर बात
यूं ही मिलता रहे सदा
मुझको तेरा साथ
तेरा साथ पाकर के
पुलकित हो जाऊंगी
तेरी खातिर दुनिया से लड़ जाऊंगी।।

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