यह जीवन है अजर-अमर तो
क्यों द्वेष-भाव तुम रखते हो
वाचन से तो अच्छे हो पर
मन में विष क्यों रखते हो,
मन में विष क्यों रखते हो
जीवन चार दिनों का
जीवन ना देता है
फिर मिलने का मौका
मिलकर रहो सभी
और प्रेम के दीप जलाओ
हो त्यौहार कोई भी
मिलकर सभी मनाओ ।।