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ग़ज़ल

तेरी तस्वीर रू ब रू कर ली
जब भी जी चाहा गुफ्तगू कर ली
हम ने दिल में बसा लिया तुम को
अपनी हर सांस मुश्कबू कर ली
प्यार के इक हसीन धागे से
जिंदगी हम ने फिर रफू कर ली
कारवां की नहीं खबर हमको
हम ने बस तेरी जुस्तजू कर ली
दम निकल जाये कब जुदाई में
वस्ल के दिन की आरजू कर ली
याद खालिक की आयी जब अज्ञात
बंदगी हम ने बे वुजू कर ली

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