मुझसे मेरा ही एक अभिन्न अंग छीन लिया गया,
मानो दिल से धड़कन का ही संग छीन लिया गया,
हाथ मलता ही रहा देखकर कुछ कर न सका मैं,
बेगुनाह मेरी आँखों से उनका हर रंग छीन लिया गया।।
अंजाना राही
मुझसे मेरा ही एक अभिन्न अंग छीन लिया गया,
मानो दिल से धड़कन का ही संग छीन लिया गया,
हाथ मलता ही रहा देखकर कुछ कर न सका मैं,
बेगुनाह मेरी आँखों से उनका हर रंग छीन लिया गया।।
अंजाना राही