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अंधकार धना है कठिन घड़ी

अंधकार घना है कठिन घड़ी ।
हिम्मत रखिए मिलेंगे मंजिल ।
दूर-दूर तक जब कोई राह न सूझे ।
तो भी हिम्मत हारना हमें ना है मंजूर ।

हिम्मत-संघर्षों से एक नई राह बनायेंगे ।
राह-राह के कदम-कदम पे एक नई उम्मीद जगायेंगे ।
युवाओं के रक्त में एक नई स्वदेशी क्रान्ति लायेंगे ।
मातृभूमि पे सर्वस्व लूटाने वो स्वयं ही लायेंगे ।

देशर के भ्रष्टाचार को वो क्षणभर में मिटायेंगे ।
भ्रष्टाचारियों को खदेडेंगे वो सत्य के दरबार में,
अगर आज उन्हें इंसाफ ना मिली,
तो कल वो नाइन्साफ विरूध्द-जूलूस निकालेंगे,
और कृष्ण के तरह गीता जहां को सुनायेंगे,
व महाभारत-संग्राम इस कलिकाल में फिर से लायेंगे ।।

सारे रिश्ते-नाते के बंधन से मुक्त होके,
वो राष्ट्रहित में अपनी जीवन बितायेंगे ।
राष्ट्रप्रेम के कारण वो राम धनुर्धुर कहलायेंगे ।
सत्य-अहिन्सा के पथ पे चलके
वो भारत को एक नया स्वर्णयुग फिर से देंगे ।।
— विकास कुमार

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