मोहब्बत होती तो मिलने की चाहत भी अजब होती,
आँखों से ही आँखों को पिलाने की भी तलब होती,
मिलता नहीं किसी शहर में जब ठिकाना कोई कहीं,
ज़मी छोड़ के आसमाँ पर बिठाने की हिम्मत ग़जब होती।।
राही अंजाना
मोहब्बत होती तो मिलने की चाहत भी अजब होती,
आँखों से ही आँखों को पिलाने की भी तलब होती,
मिलता नहीं किसी शहर में जब ठिकाना कोई कहीं,
ज़मी छोड़ के आसमाँ पर बिठाने की हिम्मत ग़जब होती।।
राही अंजाना