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अद्भुत कृष्णा

श्याम रंग विराट ललाट,
लाल तिलक सोहे मुख भाल।
तिरछी नजर कान्हा जब डालें,
गोपियों के दिल भये मतवाले।
कान्हा कान्हा रटते रटते,
गोपियों ने सुध बिसराई थी।
कान्हा के संग रास रचाने,
सभी गोपियां रोई थी।
भावों से वो विह्ववल थी,
कृष्ण के रंग में डूबी थी।
कृष्णा सब के संग नाच रहे,
नृत्य से समां सब बांध रहे।
मतवाली होकर गोपियां सभी,
मोक्ष मार्ग पर नाच रही।
कैसी अद्भुत यह लीला थी
कैसा था इनका मधुर मिलन,
सब कान्हा के रंग में डूबी थी।
कान्हा के संग नृत्य करके,
मोक्ष मार्ग पर निकल पड़ी।
कृष्णा सब के संग सखा बने,
गोपियां कृष्णा की संगिनी बनी।
इस मोहक रास रचाने में,
गोपियां मोक्ष धाम की राह चली।
निमिषा सिंघल

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