जब जब धर्म
अधर्म के चंगुल में फंसा,
तब तब इस धरती पे
पुरुषोत्तम का जन्म हुआ।
अत्याचार से धरती फटी
अधर्म से नील गगन,
तभी तो दिव्य पुरुष के हाथों
अधर्मी का अंत हुआ।
बुराई पे अच्छाई की जीत तो
एक दिन होना हो था,
“ढोल शूद्र पशु नारी”
यही अधर्म के कारण
पापी का आज अंत हुआ।