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अनकही बाते

बिन कहे क्या तुम समझ जाओगे
समझने कि तकलीफ उठा पाओगे
या फिर पूछने पर वही थम जाओगे
सर उठाकर ना कह पाओगे

स्याही के फैलने पर क्या चिड़ जाओगे
कुछ टूटने पर उसे समेट पाओगे
या फिर बिखरा हुआ देख हट जाओगे
ना छुपाते आँसू बहा पाओगे

हर एक दिन से क्या लड जाओगे
नजरों से नजरें मिला पाओगे
या हर उस नजर से छुप जाओगे
दिल खोल के मुस्कुरा पाओगे

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