अब कल क्या लिखूंगी मै यही सोच के
डर जाती हूं ,,,,,,,
फिर नये गमो से वास्ता होगा इसी उम्मीद में हर रात मै पुराने दर्द का
कफ़न ओढ़ क्र सो जाती हूँ?®®
अब कल क्या लिखूंगी मै यही सोच के
डर जाती हूं ,,,,,,,
फिर नये गमो से वास्ता होगा इसी उम्मीद में हर रात मै पुराने दर्द का
कफ़न ओढ़ क्र सो जाती हूँ?®®