अम्बर का एक बादल Geeta kumari 3 years ago गर्म रेत पर मैं चल रही थी, भानु की तपिश भी मुझे खल रही थी l तभी अम्बर में एक बादल का टुकड़ा, छाता सा बन मुझ पर छा गया l तपते तन-मन को आराम आ गया, मेरी तड़प में कुछ विराम आ गया॥ ………✍गीता