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अम्बर पर मेघा छाए..

दामिनी चमक रही है,
यामिनी लरज़ रही है।
अम्बर पर मेघा छाए,
नीर बरसता ही जाए।
मन मेरा घबराए
देख कर ऐसा मौसम,
तिमिर मुझको डराए।
डर बढ़ता ही जाए,
पवन चल रही सीली-सीली,
भीग गयी मेरी चूनर नीली॥
_____✍गीता

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