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अर्ज़ियाँ

मेंहमाँ हैं तेरे दर पे इस कदर सारी अर्ज़ियाँ मेरी
इक तेरी इज़ाज़त पे कबूल होती हैं मर्ज़ियाँ मेरी।।
राही अंजाना

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