अवनि और अम्बर का कब मिलन हुआ,
देखा दूर क्षितिज में तो मिलने का बस भ्रम हुआ ।
नभ ने बरसा कर रिमझिम जल,
खूब नेह दिया धरा को
तपती धरती पर गिरता पानी,
कह गया उसके तपने की कहानी।
जल गिरा तो खिल उठे पल्लव और फूल,
दब गयी उड़ने वाली धूल॥
_____✍गीता
अवनि और अम्बर का कब मिलन हुआ,
देखा दूर क्षितिज में तो मिलने का बस भ्रम हुआ ।
नभ ने बरसा कर रिमझिम जल,
खूब नेह दिया धरा को
तपती धरती पर गिरता पानी,
कह गया उसके तपने की कहानी।
जल गिरा तो खिल उठे पल्लव और फूल,
दब गयी उड़ने वाली धूल॥
_____✍गीता