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“अवसाद का सुंदर स्वरूप”

मुझे लिखना कैसे आया ?
अक्सर ये सवाल कर बैठते हैं लोग
मैं कवियित्री क्यों बनी
यही जानना चाहते हैं लोग
पर कोई ये क्यों नहीं समझता
ये कुदरत का वरदान नहीं
मानवता का दिया दर्द है
रिश्तों में बनी गांठ है
मेरे दिल में बनी पस है
ये अवसाद का ही सुंदर स्वरूप है
आत्महत्या का विकृत रूप है
मेरी कवितायें,
मेरी काव्य प्रतिभा को नहीं दर्शाती
ये लोगों द्वारा मुझे नवाजा गया
पीर का सर्वोत्तम तोहफा है….
जो लेखनी के माध्यम से प्रस्फुटित होता है
फलता है, फूलता है..

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