Site icon Saavan

असमन्जस

असमंजस इसमें बिल्कुल नहीं के बच्चा हूँ मैं,
बात ये है के ज़हन से अभी भी कच्चा हूँ मैं,

आ जाऊँ बाहर या माँ की कोख में रह जाऊँ,
सोच लूँ ज़रा एक बार के कितना सच्चा हूँ मैं,

बड़ा मुश्किल है यहाँ पैर जमाना जानता हूँ मैं.
मगर चाहता हूँ जान लूँ के कहाँ पर अच्छा हूँ मैं।।

राही अंजाना

Exit mobile version