अहसास का अहसास …!
मुझे अहसास हो रहा है,
कि मेरा दिल, न मेरे काबू में, ना मेरे पास,
भटक रहा है, जाने क्या आस लिए,
तेरे ही आसपास.…….
मुझे अहसास हो रहा है.
कि ये दुनिया कितनी सुंदर और सुनहरी है,
और ये मेरी जिंदगी कितनी प्यारी और हसीन है,
वक्त की भी कुछ कमी नहीं है,
फिर भी मेरे दिल को तड़पने की ही है चाह,
जाने क्या है इसकी कमी,
किसकी है इसको तलाश …..
एक अजब सा अहसास,
मेरे ही अहसास पर,
जो मुझे उलझन मे डाल जाता है,
कि सबकुछ है पास, फिर भी,
हर खुशी है साथ, फिर भी,
ये दिल क्यूँ अक्सर हो जाता , प्यासा प्यासा,
निशब्द और उदास…..
मुझे अहसास हो रहा है,
मानो अब विश्वास ही हो गया है,
कि मेरा दिल, न रहेगा मेरे काबू मे, ना मेरे पास,
भटकता ही रहेगा, जाने क्या आस लिए,
तेरे ही आसपास,
जिसकी न मुझे पहचान है,
न पता भी है पास….
“विश्व नन्द “