आँगन राही अंजाना 6 years ago तेरी यादों के आँगन में मेरा मन खिल जाये, जैसे खुली हवा में कोई पंछी मण्डराये, तेरी समृति की छवियों का जब लगे मेला, मेरा शांत उम्मीदों का फिर मन भर जाए।। राही (अंजाना)