आंखें मजबुर थी मेरी ” रहस्य ” देवरिया Rahasya deoria 6 years ago हंसकर अपने दर्द छुपाने की कारिगरी मसहूर थी मेरी । चाहकर भी कभी रो ना सकी आंखे सजबूर थी मेरी ।। सजती रही महेफिले बेशक ही अब औरो की शाम मे । हां मगर ये भी तो सच है वो शमा कभी जरूर थी मेरी ।। ” रहस्य ” देवरिया