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आंखें मे ख्वाबो को सजाने की

एक और ग़लत
आंखों में ख्वाबो को सजाने की ” रहस्य ” देवरिया

आंखों मे ख्वाबो को सजाने की हिमाकत ना करते।
काश दिल में किसी को बसाने की हिम्मत ना करते।।
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कबूल कहा होती है अब यहां हर किसी की फरियादे।
खुदा के दरबार कभी कोई भी हम मिन्नत ना करते।।
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तकलीफ तो कम्बख्त सायद जिन्दगी ही देती है यहा।
पहले पता कहा था वर्ना जिने की चाहत ना करते।।
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आंखों में ख्वाबो को सजाने की हिमाकत ना करते %

” रहस्य ” देवरिया

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