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आंधियो मेहमां बन

आंधियो मेहमां बन जब जी चाहे तुम आया करो
अर्ज़ बस इतनी तुम दरख्तो को न गिराया करो

तूफा तो हर तरफ हर जगह आते रहते है
अर्ज़ बस इतनी तुम कश्तियों को न डुबाया करो

मेरे दुश्मन तेरे क़त्ल से कब गुरेज मुझे
अर्ज़ बस इतनी क़त्ल करके खंजर न छोड़ जाया करो

तेरे वादे पे हर बार किया है ऐतबार मैंने
अर्ज़ बस इतनी कोई वादा तो निभाया करो

ज़िंदगी क्या करें कोई शिकवा तुझसे ‘अरमान’
अर्ज़ बस इतनी कभी खुल के मिल जाया करों

राजेश ‘अरमान’

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