आइना देखने से ज्यादा दिखाने में लगा है,
यहाँ हर कोई अपना चेहरा छिपाने में लगा है,
खुद गुनाहों के समन्दर में डूबा हो मगर,
हर कोई एक दूसरे पे ऊँगली उठाने में लगा है,
झुका ही नहीं जो सर किसी भी दर पर कभी,
आज वही हाथ जोड़ कर सबको मनाने में लगा है।।
राही (अंजाना)