आज आरती का लेकर थाल,
दुर्गा माॅं की करूँ वन्दना।
बीमार पड़ी है घर के अन्दर,
मेरी जननी मेरी माँ।
कोरोना ने कैसा सितम किया है,
देखो कैसा जुल्म किया है।
आज उसे देखन को तरसूॅं,
जिस माता ने जन्म दिया है।
दूरभाष से बात करूँ,
दूर ही से मुलाकात करूँ
सचित्र वार्तालाप करूँ।
मात-पिता से मिलने को तरसी,
दूर हूँ उनसे अखियाँ बरसी।
आई कोरोना की दूजी लहर,
कोरोना ने ढाया है कहर।
सभी कोरोना से बच कर रहना,
यह फैल रहा है हर गांव हर शहर॥
_____✍गीता