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आओ रंग लो लाल

आओ रंग ले एक दूसरे को,

बस तन को नहीं मन को भी रंग ले….

हर भेदभाव जात-पात को रंग ले

धर्म के नाम को रंग ले।

मिला ले सबको एक रंग में

वो रंग जो है मेरे तेरे प्यार का

हर सरहद से पार का

धरती से ले कर उस आकाश का

रंग दो सबको उस रंग में।।

सिर्फ अपना नही उस नन्ही परी का मुँह मीठा कराओ

उस गरीब के घर तक भी रंग को पहुचाओ

उस माँ के खाली दामन में भी ख़ुशी थोड़ी तुम डाल आओ।।

सिर्फ अपनों को नहीं सबको रंग दो

हर सपने को रंग दो

हर पल को रंग दो

हर रंज और नफरत को रंग दो

सब कुछ लाल रंग दो मोह्ब्बत का लाल

तेरे और मेरे सबके हर मज़हब धर्म का रंग लाल

अमीरी और गरीबी का लाल

ऊंच नीच का लाल

फिर हर तरफ होगा लाल बस मोहब्बत का लाल

और हर तरफ होगी होली

बस खुशियों की टोली।।।।

धन्यावाद

द्वारा

ज्योति भारती

 

 

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