आकांक्षाएं देवेश साखरे 'देव' 5 years ago अपनी आकांक्षाओं को, मैं पर देना चाहता हूं। खुले आसमान को, मुट्ठी में कर लेना चाहता हूं। कल्पनाओं को आकार देना इतना भी मुश्किल नहीं, बस अपनी सोच को, नई नजर देना चाहता हूं। देवेश साखरे ‘देव’