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आज इम्तेहां है

आज जज्बे का इम्तेहा होगा
कल कदमों में ये जहाँ होगा |
आज काश्मीर जीत लेना है
कल कब्जे में पाकिस्तां होगा ||
न धौंस दे मुझे ऐ दहशतगर्दी
कल न तेरा नमो निशां होगा |
जब भी इतिहास कोई देखेगा
पाक नापाक था बयां होगा ||
मेरे दीवार से टकरा ले मगर
कल तू इसमें कही दबा होगा |
किया पैदा तुझे जिसने बेअदब
उसके कदमों में तू पडा होगा ||
लहू से खेलने का शौक तूझे
कल लहू में तू नहा रहा होगा |
हमे मिटाने का सपना ना देख
कल दुनियां से तू फना होगा ||
जय हिन्द
उपाध्याय

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