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आज कुछ खाली – खाली लगता है

आज कुछ खाली – खाली लगता है …२

यूँ जो छोड़ गए तुम मुझके …

हर चेहरा सवाली लगता है …

आज कुछ खाली – खाली लगता है …

हँस के मिलती हूँ

जब भी मिलती हूँ सब से …

ये मेरी आदत थी …

पर ये हँसाना भी …

अब बेमानी लगता है ……

आज कुछ खाली – खाली लगता है …

कितने खुश थे

जब साथ थे दोनों

वो हँसी वो ख़ुशी

वो प्यार की बाते

वो दिन वो पल

संग बिताई राते

अब जो सोचु

तो कहानी लगता है ….

आज कुछ खाली – खाली लगता है ..

खुद को कोसु

या तुझे बुरा मैं कंहू

कंहू भी तो ,क्या

तुझे मैं कंहू

ये तो किस्मत है जो .

हमे ,मिलाना बिछड़ना पड़ता है ….

आज कुछ खाली – खाली लगता है ..

मैं तो रोई

जब जुदा हुए तुम मुझसे

तूने हँसाने को कहा

हँस के भी दिखाई मैं

जब जाते जाते देखा

तेरी आँखों को

तेरी आँखों में भी

पानी – पानी लगता है ….

आज कुछ खाली – खाली लगता है ..

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