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आज फिर कोई रो रहा है….

आज फिर कोई रो रहा है…
फिर कहीं किसी किसी गली से आवाज़ आ रही है,
फिर आज कोई बैठा समंदर पिरो रहा है..
आज फिर कोई रो रहा है….

फिर कहीं कोई कसक नैनों में आ गयी,
फिर वादो की टूटी माला कोई पिरो रहा है,
आज फिर कोई रो रहा है..

आँखों से उमङा सागर दीदार प्रिया का पाकर ,
फिर कोई प्रणयनी का आँचल भिगो रहा है,
आज फिर कोई रो रहा है…..

प्रीति की लपट से फिर झुलस गया कोई ,
फिर तीर से हो लथपथ दिल को संजो रहा है ,
आज फिर कोई रो रहा है……

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