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आज फिर …

कुछ लिख कर आज फिर
मिटा दिया,
कुछ बना कर आज फिर
बिगाड़ दिया,
वो आज भी नहीं आएगा
मालूम है हमे, पर
फिर भी उसके आने के
इन्तजार मे खुद को फिर
सँवार लिया !

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