आज भी उसकी खैरियत की दुआ करता हूं
उसकी तस्वीर को होंठों से छुआ करता हूं
बेवजह ही वो सजाती है जनाजा मेरा
उसके एहसास में मैं खुद को धुवां करता हूं
शक्ति त्रिपाठी देव
आज भी उसकी खैरियत की दुआ करता हूं
उसकी तस्वीर को होंठों से छुआ करता हूं
बेवजह ही वो सजाती है जनाजा मेरा
उसके एहसास में मैं खुद को धुवां करता हूं
शक्ति त्रिपाठी देव