‘आज रह-रह के वही शख्स याद आता है,
मैं उसे जब भी मनाता था, मान जाता था..
मेरे ज़ाहिर से ग़म भी आज ना दिखे उसको,
जो बारिशों में मेरे आँसू जान जाता था..’
– प्रयाग
‘आज रह-रह के वही शख्स याद आता है,
मैं उसे जब भी मनाता था, मान जाता था..
मेरे ज़ाहिर से ग़म भी आज ना दिखे उसको,
जो बारिशों में मेरे आँसू जान जाता था..’
– प्रयाग