नहीं बैठ पाया वो पंक्षी
किसी भी डाल पर,
जिसके बच्चों को वृक्ष सहित गिराया गया हो।
विश्वास अब किस पर करे वह
जब यह कृत्य देवरूपी दिग्गजों ने किया हो।
अब कहाँ रहे वो दिन जब
घण्टों चिड़िया चहचहाती थीं,
अब तो सन्नाटा सा पसर गया है।
वो आज स्तब्ध सा बैठा है !!
जिसका एक रोज वंश उजड़ गया है।