पार्थिव शरीर विह्वल हुए लोग
शांत चेहरों में वेदना समाई है
हसती खेलती कोई पुण्यात्मा
परमात्मा से मिलने को आज अकुलाई है
चार दिन का साथ छोड़ आज ऐसे जा रही
मुसाफिर खाने से छूटकर मायके को जा रही
बिलखते हैं भाई बंधु रोते परिवार हैं
रोकने पर जोर नहीं दुख आर पार है
बात बात पर तुम्हें याद किया जाएगा
अच्छाइयों की बात हो तो तुम्हें पुकारा जाएगा
जीवन मृत्यु के चक्र से मुक्ति को यही आस्था
मोक्ष की हो प्राप्ति सभी की यही प्रार्थना।
निमिषा सिंघल