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आधुनिक नारी

कोस रहीं है नारी बेचारी,
निकम्मी सरकार और पुरुष को।
दोनों का हाल हुआ बेहाल,
मन ही मन कोसें खुद को।।

✍महेश गुप्ता जौनपुरी

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