आया वसंत आया वसंत ।
बोल रहा है आज दिगन्त।।
पतझर ने कहा तरुवर से
बनकर किसलय आया वसंत।
पत्तों ने कहा फूलों से
खुशबू बनकर आया वसंत।।
आया वसंत आया वसंत।
बोल रहा है आज दिगन्त।।
खुशबू ने कहा मधुकर से
मधुररस बनकर आया वसंत।
भौरों ने कहा कोयल से
सुरीले स्वर बन आया वसंत।।
आया वसंत आया वसंत।
बोल रहा है आज दिगन्त।।
कोयल ने कहा अंबर से
धरा सजाया है वसंत।
“विनयचंद ” अम्बर में
पतंगें लहराया वसंत।।
आया वसंत आया वसंत।
बोल रहा है आज दिगन्त।।