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आरोप से पहले बलिदान याद ना आया

 

“सैनिक है मेरे भाई – मैं हूँ किसान का बेटा “

कहने से पहले क्यों तुझे आरोपों का ख्याल नही आया ,

सैनिको पर आरोप लगाने से पहले …

ओ कैन्ह्या , तुझे “जय जवान जय किसान ” का नारा याद ना आया ||

माँ – बाप ने भी क्या नाम है रखा ,

एक कैन्ह्या को पूजे है देश सारा ,

उस देश को बदनाम करने से पहले …

ओ कैन्ह्या, तुजे कैन्ह्या का भी नाम याद ना आया ||

एस. राधाकृष्ण से चले जिस देश में गुरु का नारा ,

गुरु को गोद में बिठाने का तेरा गुरु – प्रेम दिखा न्यारा ,

ओ कैन्ह्या, आजादी के नारो के शोर में …

तुझे गुरु – प्रेम भी ना करना आया ||

फांसी को चूमकर मिली थी आजादी ,

कश्मीर की आजादी कहने से पहले …

ओ कैन्ह्या, तुजे देशभकत भगत सिंह ,राजगुरु ,

सुखदेव का ख्याल भी ना आया ||

भारत तेरे टुकड़े होंगे का जो तूने नारा लगाया ,

मुंह खोलने से पहले तुझे सियाचिन का जवान ना याद आया ||

अफज़ल अफज़ल का तूने राग पाया ,

ओ कैन्ह्या, 26/11 का हमला तुझे याद ना आया ||

जिन्होंने देश के लिए जिंदगी दांव पर लगा दी ,

उनका सम्मान एक बार भी जहन में ना आया ,

सैनिको पर आरोप लगाने से पहले …

ओ कैन्ह्या, तुझे शहीदो का बलिदान भी याद ना आया ||

   – सचिन सनसनवाल

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