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आर्यन के जीवन की एक यादगार घटना *

*आर्यन सिंह ” शनि भैया ” के जीवन की एक खास घटना * जब वह अपने प्रिय वेदांताचार्य स्वामी आधार चैतन्य से मिले .*

आर्यन के बचपन की वो घटना जब वे 12 साल की उम्र मे किसी उम्दा ब्यक्ति स्वामी आधार चैतन्य को गुरु बनाने की चाह मे उनके पास गये थे मगर स्वामी आधार चैतन्य ने उनको बच्चा बोलकर ठुकरा दिया था…
उस वक्त की घटना को जाने माने हिन्दी के अनोखे रचनाकार आर्यन सिंह ने कविता मे प्रस्तुत किया है –

कविता –

ये घटना मेरे जीवन की मै सबको आज बताऊंगा
वो मुलाकात वो खास बात उसकी दास्तान
सुनाऊंगा ।।

घटना है ये सन 14 की मै 13 साल का बच्चा था
वेदांत मे मुझको शौक बढ़ा पर मन बुद्धि का कच्चा
था.

संगीत मे बसती जान मेरी हल्का सा कलाकार था मैं
भागवत मंच का शास्त्री बना पर मन से निराधार था
मैं.

माँ सरस्वती की कृपा हुयी लोगों ने खूब पसंद किया
अब ऊंची मंजिल पाना है हमने भी मन मे ठान लिया.

सोचा अब ऐसा गुरु मिले जो गायक हो और ज्ञानी हो
जिसके नाम का तहलका हो और सुंदर जिसकी वाणी हो.

तब स्वामी आधार चैतन्य जी का रुतबा हर जगह निराला था
संगीत कथा के महारसिक जनता पर जादू डाला था.

मन मे सोचा ना विचार किया अब इनको गुरु बनाऊंगा
ये घटना मेरे जीवन की उसकी दास्तान सुनाऊंगा ।।

है जगह एक जसवंतनगर वहां पर स्वामी जी आये थे
चल रही थी उनकी कथा वहां बनकर के कन्हैया छाये थे.

मै भी पंहुचा पापा के संग मौसा जी ने मिलवाया था
था प्रथम बार का मिलन मेरा गुरुदेव का दरशन पाया था.

जब चरण छुए स्वामी जी के तब उनने आशीर्वाद दिया
गदगद तन खड़ा था डरा हुआ मैने सहर्ष स्वीकार किया.

मैने करबद्ध निवेदन कर सब दिल का हाल बताया था
मुझको भी शिष्य बना लो आप स्पष्ट भाव दर्शाया था.

कुछ मिनट हुये वो शान्त रहे बोले थोड़ा धैर्य धरो
पुछा कुछ हालचाल मेरा फिर बोले तुम एक काम
करो.

एक भजन सुनाओ अच्छा सा सुनने की तलफ हमारी है
मैं तब समझू इस दुनिया मे कितनी तेरी तैयारी है ?

मै बोला गर हारमोनियम दो तो कुछ अच्छा गा पाऊंगा

ये घटना मेरे जीवन की मै सबको आज बताऊंगा ।।

आखिर फिर बिना बाजा के ही मैं गीत सुनाने लगा वहां
सबने तालियां बजाई खूब शायद अच्छा वो भजन रहा.

अब बारी थी स्वामी जी की जब बोले मानों कहर गिरा
इन्कार कर दिया जब उनने तब मानो दिल पर जहर गिरा.

बो बोले अभी तू बच्चा है पहले ग्रेजुएसन पूर्ण करो
स्कूल और कॉलेजों की पहले शिक्षा सम्पूर्ण करो.

फिर युवाकाल मे आना तुम मैं तुमको शिष्य बनाऊंगा
वो मुलाकात वो खास बात उसकी दास्तान
सुनाऊंगा ।।

पर अभी इस समय बात मान घर जाकर अध्ययन मनन करो
बस निर्णय यही हमारा है मत इस बचपन का दमन करो.

क्या करता अब कुछ कह ना सका घर लौट चला मुरझाया सा
जिनको मै महान मानता हूँ उनने मुझको ठुकराया
था.

कुछ क्रोध बढ़ा कुछ रोष हुआ स्वामी जी पर आक्रोश हुआ
कुछ समय तसल्ली नही मिली फिर अन्त मे मुझको होश हुआ.

अब मस्त हूँ अपने रूतबे मे ईश्वर सब अच्छा करता है
जिन्दा है हमारा स्वाभिमान ना हृदय किसी से डरता
है.
कहता है आर्यन ये घटना ना भूल कभी भी पाऊंगा
उनने ठुकराया था बेशक पर मैं ना उन्हे
ठुकराऊंगा ।।

संग्रहित —

पॉपुलर टीबी आर्टिस्ट एन्ड रचनाकार

आर्यपुत्र आर्यन सिंह कृष्णवंशी

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