आवरण की आभा Satish Chandra Pandey 4 years ago लट के श्याम उलझे केशों की वो चमक अब, नैनों की नीलिमा अब होंठों की लालिमा अब, पतली सी वो कमर अब बाली सी वो उमर अब तोते सी नासिका अब पाने की लालसा अब, मेरी कलम के विषयों से दूर हो रही है, यह आवरण की आभा पे मौन हो रही है।