Site icon Saavan

*आशा की किरण*

इस भ्रामक दुनियां में,
बनूं आशा की किरण
अन्दर ही अन्दर आहत हुई,
फ़िर भी मैं, मुस्काती हूं
कोमल हूं, कमज़ोर नहीं हूं,
खुद को ये समझाती हूं
राह कितनी भी कठिन हो,
देखना चाहती हूं चल के
यूं किसी के कहने भर से,
रुक नहीं मैं जाती हूं
“गीता” नाम से जानी जाती
अपने नाम के अनुरूप ही,
मैं कर्म करती जाती हूं..

*****✍️गीता

Exit mobile version