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आसमान में पतंग, यारों का कोई यार नहीं दिखता

आसमान में पतंग, यारों का कोई यार नहीं दिखता,

आज के रिश्तों में वो गहरा कोई प्यार नहीं दिखता,

मिलते हैं ख़्वाबों में आकर चेहरे अंजाने अक्सर,

मगर हकीकत में चेहरा कोई क्यों साफ़ नहीं दिखता।।

राही (अंजाना)

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