तुमको यह आज़ादी मुबारक हो
हमे तोह तेरे प्यार ने गुलाम बना रखा है
कहने पे हम आज़ाद है
पर तेरे जुदाई के डर ने पिजरे में रोक रखा है
ख्वाब तोह आज भी बहुत है
पड़ पता ना चला कब पर काट लिए गए
दो वक़्त की रोटी सुखी सब्जी का स्वाद इतना है
की ना पुछो आज़ादी कही बेसुद सी खड़ी हँस रही है