Site icon Saavan

आ गया अब शीत का मौसम

आ गया अब शीत का मौसम
कंपकंपी के गीत का मौसम ।
झील सरिता सर हैं खामोश
अब न लहर में तनिक भी जोश
वृक्ष की शाखें नहीं मचलें
लग रहा अब है न तनिक होश

धूप के संगीत का मौसम
गर्मियों के मीत का मौसम

उमंगों पर है कड़ा पहरा
जो जहां पर है वहीं ठहरा
किसलिये है भावना वेवश
शीत का यह राज है गहरा

शीत से है प्रीत का मौसम
धूप से विपरीत का मौसम।

अधर तक मन का धुँआ आता
दर्द का हर छंद दोहराता
चुभन की अनुभूति क्या प्यारी
आँसुओं का सिंधु लहराता

लगा मन की जीत का मौसम
आ गया मन मीत का मौसम।
निरंतर पढ़ते रहें रचना संसार…..

Exit mobile version