दूर क्षितिज में जब दिन ढल जाए,
नभ पे थोड़ी लाली छाए
पंछी भी अपने बसेरे में आएं
ठंडी-ठंडी चले हवाएं,
चांद-सितारे भी आ जाएं
एक आस का दीपक जलाऊंगी
तब तुम भी आ जाना प्रीतम,
मेरे मन का तिमिर भगाना प्रीतम
____✍️गीता
दूर क्षितिज में जब दिन ढल जाए,
नभ पे थोड़ी लाली छाए
पंछी भी अपने बसेरे में आएं
ठंडी-ठंडी चले हवाएं,
चांद-सितारे भी आ जाएं
एक आस का दीपक जलाऊंगी
तब तुम भी आ जाना प्रीतम,
मेरे मन का तिमिर भगाना प्रीतम
____✍️गीता