Site icon Saavan

इक अधूरापन है जो झांकता रहता है

इक अधूरापन है जो झांकता रहता है

दिल की दरारों से|

मचलता रहता है,

मुकम्मल होने की ख्वाहिश में|

 

कुछ यादें थी, अधूरी सी

भीगना बारिश में कभी कभी|

करवा ली है मरम्मत छत की

ठीक कर ली है रोशनदान भी

फिर भी कभी कभी वो

आंखों से बहता रहता है,

इक अधूरापन है जो झांकता रहता है|

कुछ बातें थी, जो कभी हुई नहीं

कुछ सोचा था मैंनें, जो उसने सुना नहीं,

चंद लफ़्जों का आसरा चाहता था

साथ में किसी का हाथ चाहता था

जो कभी मिला नहीं|

अब दरारों के दरम्या दिल तनहा रहता है

इक अधूरापन है जो झांकता रहता है|

Exit mobile version