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इतने गर्म शहर में भी चुभ सी रही हैं

इतने गर्म शहर में भी चुभ सी रही हैं,
ये सर्द हवा, ये शीतल सा पानी, ये सुकूँ भरी छाओं

ऐ दोस्त

कितना भटक स गया है न ये मन
की मैं सुकून में भी सुकूँ भरा “मैं” नहीं ढूंढ़ पा रहा हूँ।।

-मनीष

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