इन बहकते बादलों को rajesh arman 8 years ago इन बहकते बादलों को कोई राह तो दिखलाये बरसना था खेतों पे ,किसान की आँखों में बरस रही है टकटकी फिर भी लगी आसमान की तरफ उम्मीद से बारिशों की बूंदों को खेतों में देखने को आँखें तरस रही है राजेश’अरमान’