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इम्तहान की घड़ी

उठा के बंदूक हाथ में, ए वीर तुम अब बढ़े चलो।
जान हथेली पे रख के, अपना कर्तव्य निभाते चलो।।
इस देश को तुम्हारे जैसे ही, सपूतों की जरुरत है।
जंग की घड़ी आई है, सिर पे कफ़न बांधते चलो।।
ए सपूतों कोई धर्म वीर बनो, तो कोई कर्म वीर बनो । धर्म कर्म के औजार से, दुश्मनों को अंत करते चलो।

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